Chandigarh: शादी समारोहों में प्रशासन के तय नियम ताक पर: देर रात तक बजता डीजे, प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे इस्तेमाल
Rules set by administration in wedding ceremonies are flouted
Rules set by administration in wedding ceremonies are flouted- चंडीगढ़। चंडीगढ़ सहित ट्राईसिटी के कम्यूनिटी सेंटरों व बैंक्वेट हालों में शादी व अन्य समारोहों का अच्छे मुहुर्त के चलते खूब सिलसिला चल रहा है। जहां शादी वाले घर से जुड़े लोगों के लिये यह हंसी-खुशी व नाच-गाने के पल हैं तो कई अन्य के लिये यह मुसीबत भी लेकर आते हैं। खासतौर से इनके आसपास के घरों में रहने वाले लोगों को इन दिनों खूब शोर-शराबे व पटाखों की तेज आवाज के चलते दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं।
विशेषकर बुजुर्गों, मरीजों, विद्यार्थियों व आमजन को इससे काफी परेशानी हो रही है। चंडीगढ़ में लोग शादी समारोह के लिये ज्यादातर सेक्टरों में बने कम्यूनिटी सेंटर बुक कराते हैं तो ट्राईसिटी के इलाकों जैसे पंचकूला, मोहाली व जीरकपुर में बैंक्वेट हाल बुक कराने का रिवाज है। यहां शादी के दौरान बजने वाले डीजे व म्यूजिक ने आसपास के लोगों की नाक में दम कर रखा है। इसे बजाने का चंडीगढ़ में प्रशासन ने नियत समय तय कर रखा है। इसी तरह ट्राईसिटी के अलग अलग स्थानों पर भी प्रशासन ने डीजे व म्यूजिक बजाने का समय निर्धारित किया हुआ है। रात 11 बजे के बाद डीजे या लाउड म्यूजिक व साउंड का प्रयोग नहीं किया जा सकता। बावजूद इसके शादी के जश्न में लबरेज लोग इस समय सीमा को भूल जाते हैं। न केवल 11 बजे के बाद धड़ल्ले से तेज डीजे व म्यूजिक का शोर हो रहा है बल्कि अल-सुबह भी यहां से आने वाली बैंड-बाजे की आवाज लोगों को सोने नहीं दे रही।
इतना ही नहीं चंडीगढ़ प्रशासन व पंजाब व हरियाणा सरकार ने मोहाली, जीरकपुर व पंचकूला इत्यादि में केवल ग्रीन पटाखे बजाने निर्धारित किये हुए हैं और इन्हें चलाने की भी एक समय सीमा है लेकिन इसे मानने को कोई भी तैयार नहीं है। ग्रीन पटाखों की जगह प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे भी धड़ल्ले से चलाये जा रहे हैं। समय के बाद भी इनका प्रयोग किया जा रहा है। चंडीगढ़ के कम्यूनिटी सेंटरों व ट्राईसिटी के बैंक्वेट हालों में सुबह 4 बजे ही बैंड बाजे के साथ पटाखे चलने शुरू हो जाते हैं। इससे आसपास के घरों में रहने वाले लोगों को परेशानी होती है। एक तो शोर-शराबे से उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती, दूसरा घर में अगर कोई बुजुर्ग या मरीज है तो उसको ज्यादा दिक्कत पेश आती है।
लोग खुद जाकर यहां टोकाटाकी भी नहीं कर सकते। स्टूडेंट्स को और भी ज्यादा परेशानी होती है। शांत वातावरण में उनकी पढ़ाई डीजे व पटाखों की आवाज से प्रभावित होती है। यह सिलसिला एक दिन का नहीं है बल्कि शादी के मुहुर्त वाले दिनों जिसमें सर्दी का सीजन खास है के दौरान यह समस्या हर साल रहती है। जहां ये कम्यूनिटी सेंटर या बैक्वेट हाल हैं, वहां के थाने भी इस समस्या पर काबू पाने में पूरी तरह से फेल हैं। इन्हें डीजे व पटाखे चलाने इत्यादि के निर्धारित समय पर ध्यान रखने व अगर कोई इसका उल्लंघन करता है तो उस पर कार्रवाई करने को कहा जाता है लेकिन पुलिस इसे समस्या ही नहीं मानती।
न तो तय समय के बाद डीजे रोकने की कोशिश होती है और न ही प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे चलाने से रोकने के प्रयास। अल सुबह बैंड बाजे व पटाखों के शोर से पास रहने वाले लोगों की नींद पूरी नहीं हो पाती और उन्हें शोर-शराबे की वजह से उठना पड़ता है। बात केवल यहीं नहीं रुकती। जो गाडिय़ां समारोह के दौरान पहुंचती हैं,उनकी पार्किंग की भी उचित व्यवस्था कम्यूनिटी सेंटरों या बैंक्वेट हालों में नहीं है जिसकी वजह से आम लोगों को बहुत दिक्कत आती है। लोग सडक़ों पर गाड़ी खड़ी कर देते हैं जिससे ट्रैफिक प्रभावित होता है। जीरकपुर के बैंक्वेट हालों के तो बाहर सडक़ पर ही गाड़ी पार्क कर दी जाती है।
जीरकपुर-शिमला हाइवे के दोनों तरफ बने बैंक्वेट हालों के बाहर इससे ट्रैफिक जाम की बड़ी समस्या हो जाती है। कई मर्तबा तो आगे-आगे दूल्हे व बारातियों के साथ सडक़ पर दूल्हे को घोड़े पर ले जा रही बारात और बैंड-बाजे व साथ में नाचते बाराती भी ट्रैफिक जाम कर देते हैं। पुलिस इन सभी समस्याओं से बेखबर रहती है। कहा तो ये जाता है कि बैंक्वेट हाल मालिक पुलिस थाने के मुलाजिमों को कार्रवाई न करने की ऐवज में पैसा चढ़ाते हैं। ये मुलाजिम न तो ट्रैफिक समस्या पर ही ध्यान देते हैं और न ही निर्धारित समय में डीजे बजने या पटाखे चलाने इत्यादि पर कार्रवाई करते हैं। इन बैंक्वेट हालों व कम्यूनिटी सेंटर के बाहर रहने वाले लोगों ने मांग की है कि पुलिस को प्रशासन व सरकार के निर्देशों अनुसार कार्रवाई करनी चाहिये ताकि बैंक्वेट हाल मालिक व शादी समरोह कर रहे लोग मनमानी न कर सकें।
सेक्टर 37 कम्यूनिटी सेंटर में रोज टूट रहे नियम
चंडीगढ़ के सेक्टर 37 में कम्यूनिटी हाल में अक्सर शादी या अन्य समारोह होते रहते हैं। इन समारोह में भी यही समस्याएं पेश आती हैं। इस कम्यूनिटी सेंटर के पास रहने वाले बाशिंदों का कहना है कि डीजे या बैंड बाजे बजाने के समय का कोई पालन नहीं होता। पटाखे चलाने में भी मनमानी होती है। ग्रीन पटाखों की जगह प्रदूषण फैलाने वाले पटाखे चलते हैं। प्रशासन अपनी जिम्मेदारी को केवल एक आदेश जारी कर पूरा कर देता है लेकिन इनके पालन कराने के लिए कुछ नहीं करता।
पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है। लोगों की दलील है कि संबंधित पुलिस थानों की गतिविधियां देखने के लिये भी एक ऐसा पुलिस की मॉनीटरिंग दल होना चाहिए जो केवल यह देखे की संबंधित थाना कोई कार्रवाई कर रहा है या नहीं। सेक्टर 37 कम्यूनिटी सेंटर से संबंधित सेक्टर 39 थाने के अधिकारियों से जब इसको लेकर बातचीत की गई तो उनका कहना है कि वह अपने स्तर पर कार्रवाई करते हैं। लोगों को रोकते हैं लेकिन बावजूद इसके लोग पुलिस के जाने के बाद फिर डीजे शुरू कर देते हैं। लोगों को खुद इसमें सहयोग करना चाहिए।